एटीएम पर लगने वाले शुल्क पर गौर करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को एक समिति का गठन कर दिया है। यह समिति इस बात पर चर्चा करेगी कि क्या एटीएम पर लगने वाले शुल्क को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है या नहीं। केंद्रीय बैंक ने छह लोगों को इसका सदस्य बनाया है। यह लोग होंगे समिति में शामिल इंडियन बैंक एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वी जी कन्नन की अध्यक्षता में गठित इस समिति में नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के सीईओ दिलिप अस्बे, एसबीआई के चीफ जनरल मैनेजर गिरि कुमार नायर, एचडीएफसी बैंक के ग्रुप हेड (लायबिलिटी) एस संपत कुमार, कैटमी के निदेशक के. श्रीनिवास और टाटा कम्यूनिकेशन पेमेंट सॉल्यूशन के सीईओ संजीव पाटिल शामिल हैं। दो महीने में देनी होगी रिपोर्ट समिति अपनी पहली बैठक के दो महीने बाद अपनी रिपोर्ट देगी। आरबीआई ने कहा है कि समिति द्वारा रिपोर्ट जमा करने के बाद ही बैंक एटीएम शुल्क पर फैसला लेगा। छह जून को आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान इस बात का एलान किया था। इसलिए हो सकती है शुल्क में कमी आरबीआई ने छह जून को ही आरटीजीएस और एनईएफटी पर लगने वाले शुल्क को पूरी तरह से माफ कर दिया है। यह कदम बैंक ने डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए उठाया था। इसलिए हो सकता है कि आरबीआई ऐसा ही कदम एटीएम प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कर सकता है। हालांकि एटीएम की लागत बढ़ती जा रही है, जिसके चलते बैंक लगातार एटीएम की संख्या को भी कम कर रहे हैं। दो साल में बंद हुए 800 एटीएम आरबीआई के अनुसार, 2011 में जहां देश में कुल एटीएम की संख्या 75 हजार 600 थी, वहीं 2017 में यह बढ़कर 2 लाख 22 हजार 500 हो गई। हालांकि, इसके बाद पिछले दो वित्तीय वर्षों में एटीएम की संख्या लगातार घट रही है और 2019 मार्च तक देश में कुल 2 लाख 21 हजार 700 एटीएम थे। इस तरह दो वित्तीय वर्षों में ही 800 एटीएम बंद हो गए। दूसरी ओर, 2017 में जहां देश में एटीएम का कुल इस्तेमाल 71.06 करोड़ बार हुआ था, वहीं 2019 ये संख्या बढ़कर 89.23 करोड़ पहुंच गई। यानी दो वित्तीय वर्षों में ही एटीएम से 18.17 करोड़ बार ज्यादा ट्रांजेक्शन हुआ।
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