भोपाल। नए वर्ष की शुरुआत के साथ ही इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन अर्थात इसरो ने वर्ष के पहले दिन स्पेस मिशन को भी पूरा कर लिया है। इसरो ने ‘एक्स-रे पोलेरिमीटर सैटेलाइट’ मिशन लॉन्च किया। जो कि ब्लैक होल जैसे आकाशीय पिंडों के रहस्यों का अध्ययन करेगा। 2023 में चंद्रयान-3 मिशन के माध्यम से चांद पर पहुंचने और आदित्य एल-1 मिशन के माध्यम से सूर्य तक सफर की शुरुआत के बाद इसरो ने नए वर्ष की शुरुआत के साथ ही स्पेस सेक्टर में अपना पहला कदम बढ़ाया है।
सोमवार को इसरो के सबसे भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) ने अपने सी58 मिशन में मुख्य एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) को पृथ्वी की 650 किलोमीटर निचली कक्षा में स्थापित किया। पीएसएलवी ने यहां पहले अंतरिक्ष तल से सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर उड़ान भरी थी। प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती खत्म होने के बाद 44.4 मीटर लंबे रॉकेट ने चेन्नै से करीब 135 किलोमीटर दूर इस अंतरिक्ष तल से उड़ान भरी और इस दौरान बड़ी संख्या में यहां आए लोगों ने जोरदार ढंग से तालियां बजायीं।
एक्सपोसैट एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में सहायता करेगा। इसरो के अनुसार, यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है। इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच साल है।