भारत-रूस साझेदारी: SJ-100 विमानों का उत्पादन अब भारत में, HAL-UAC MoU से आत्मनिर्भरता को नई उड़ान
90% आयात पर निर्भर विमानन क्षेत्र में गेम-चेंजर, UDAN स्कीम को मिलेगा बल; अगले दशक में 200+ जेट की जरूरत
भारतीय विमानन उद्योग में एक ऐतिहासिक मोड़ आ गया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने रूस की पब्लिक जॉइंट स्टॉक कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (PJSC-UAC) के साथ SJ-100 सिविल कम्यूटर विमानों के उत्पादन के लिए मॉस्को में समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह भारत का पहला पूर्ण पैमाने का सिविल पैसेंजर एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट होगा, जो 1988 के बाद पहली बार पूर्ण विमान निर्माण की शुरुआत करेगा। वर्तमान में भारत में 90% से अधिक सिविल विमान आयात होते हैं, लेकिन SJ-100 का घरेलू उत्पादन इस निर्भरता को कम कर आत्मनिर्भर भारत को मजबूत करेगा। HAL को भारतीय ग्राहकों के लिए SJ-100 के निर्माण का अधिकार मिलेगा, जो क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ावा देगा।
MoU का विवरण: नया अध्याय
27 अक्टूबर 2025 को मॉस्को में हस्ताक्षरित इस MoU के तहत HAL और UAC के बीच सहयोग से SJ-100 का उत्पादन भारत में होगा। SJ-100 एक ट्विन-इंजन, नैरो-बॉडी रीजनल जेट है, जो शॉर्ट-हॉल फ्लाइट्स के लिए डिजाइन किया गया है। विश्व स्तर पर 200 से अधिक SJ-100 विमान उत्पादित हो चुके हैं, जो 16 से ज्यादा कमर्शियल एयरलाइंस द्वारा संचालित हैं। HAL के चेयरमैन और एमडी डी.के. सुनील ने कहा, “यह साझेदारी HAL और UAC के बीच पारस्परिक विश्वास का प्रतीक है। SJ-100 का निर्माण भारतीय विमानन उद्योग के इतिहास में नया अध्याय लिखेगा।”
यह प्रोजेक्ट 1961 से 1988 तक चले AVRO HS-748 के बाद भारत का पहला सिविल विमान निर्माण होगा। MoU के तहत उत्पादन का स्थान, लोकलाइजेशन स्तर और समयसीमा पर आगे चर्चा होगी, लेकिन यह निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी प्रोत्साहित करेगा।
गेम-चेंजर क्यों? आयात निर्भरता पर ब्रेक
भारत का सिविल एविएशन सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन 90% विमान आयात पर निर्भरता एक बड़ी चुनौती है। SJ-100 का घरेलू उत्पादन न केवल लागत कम करेगा, बल्कि रोजगार सृजन और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करेगा। उद्योग अनुमानों के अनुसार, अगले दशक में क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए 200 से अधिक इस श्रेणी के जेट और इंडियन ओशन क्षेत्र के लिए अतिरिक्त 350 विमानों की जरूरत होगी।
UDAN (उड़े देश का आम नागरिक) स्कीम के तहत शॉर्ट-हॉल कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा, जो ग्रामीण और अंडरसर्व्ड एयरपोर्ट्स को जोड़ेगी। HAL ने कहा कि यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में सिविल एविएशन में बड़ा कदम है, जो प्राइवेट सेक्टर को शामिल कर वैल्यू चेन में रोजगार पैदा करेगा।
भारत-रूस संबंधों का मजबूत पक्ष
यह MoU भारत-रूस के बीच लंबे समय से चली आ रही साझेदारी को मजबूत करता है। दोनों सरकारों के उच्च स्तर पर फैसला लिया गया है, जो रक्षा से सिविल क्षेत्र में विस्तार दर्शाता है। UAC के डायरेक्टर जनरल वादिम बेडेखा ने इसे “भारतीय विमानन के लिए नया मील का पत्थर” बताया। इससे भारत वैश्विक एविएशन सप्लाई चेन में मजबूत बनेगा, जहां बोइंग और एयरबस जैसे दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा संभव होगी।
| मुख्य बिंदु | विवरण |
|---|---|
| विमान मॉडल | SJ-100 (ट्विन-इंजन, नैरो-बॉडी) |
| उत्पादित संख्या | 200+ (विश्व स्तर पर) |
| भारत की जरूरत | 200+ जेट (अगले दशक में क्षेत्रीय) |
| लाभ | UDAN स्कीम, आत्मनिर्भरता, रोजगार |
आंकड़े: HAL प्रेस रिलीज और उद्योग अनुमान से।
निष्कर्ष
HAL-UAC का SJ-100 MoU भारतीय विमानन को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। आयात निर्भरता कम करने और UDAN को गति देने से यह गेम-चेंजर साबित होगा। आत्मनिर्भर भारत की यह पहल न केवल आर्थिक बल्कि सामरिक महत्व की भी है। आने वाले समय में प्रोडक्शन शुरू होने से लाखों नौकरियां और क्षेत्रीय विकास को बल मिलेगा। भारत अब सिविल एविएशन में वैश्विक खिलाड़ी बनने की राह पर है।