क्रिप्टो मार्केट की भयंकर गिरावट: ट्रंप के टैरिफ से 10 अक्टूबर की तबाही, सोमवार को भारतीय बाजार पर क्या पड़ेगा असर?
भोपाल: वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी बाजार ने 10 अक्टूबर को एक ऐसी दुर्घटना का सामना किया जो इतिहास में सबसे बड़ी लिक्विडेशन इवेंट्स में से एक साबित हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चीन पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा ने बाजार को हिला दिया, जिससे 19 अरब डॉलर से अधिक की पोजीशंस लिक्विडेट हो गईं। बिटकॉइन की कीमत 110,000 डॉलर से नीचे गिरकर 104,000-106,000 डॉलर के स्तर पर पहुंच गई, जबकि इथेरियम और सोलाना जैसी अन्य प्रमुख क्रिप्टोकरेंसीज में 15-30% की गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट न केवल वैश्विक निवेशकों के लिए झटका है, बल्कि भारत जैसे उभरते बाजारों पर भी इसका असर सोमवार (13 अक्टूबर) को दिख सकता है। आइए, इसकी वजहों और भारतीय बाजार पर संभावित प्रभाव को विस्तार से समझते हैं।
कल की क्रिप्टो दुर्घटना: मुख्य कारण क्या थे?
10 अक्टूबर 2025 को क्रिप्टो बाजार की यह गिरावट अचानक थी। प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
- ट्रंप का चीन पर टैरिफ हमला: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीनी आयात पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की, जो पहले से चल रहे व्यापार युद्ध को और भड़का सकती है। इस खबर ने निवेशकों में घबराहट पैदा कर दी, क्योंकि चीन क्रिप्टो माइनिंग और सप्लाई चेन का बड़ा हिस्सा है। इस घोषणा के एक घंटे के अंदर ही 7.5 अरब डॉलर की लिक्विडेशन हो गई, जो कुल 19 अरब डॉलर तक पहुंच गई।
- लिक्विडिटी की कमी और एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग: दुर्घटना ऑस्ट्रेलियाई सत्र के कम लिक्विडिटी वाले घंटों में हुई, जहां संस्थागत निवेशकों ने स्टॉप-लॉस ऑर्डर्स को ट्रिगर करने के लिए हमला बोला। एल्गोरिदमिक बॉट्स ने इस गिरावट को तेज किया, जिससे अंतिम तीन मिनट के कैंडल में 36% की गिरावट आई। कुल मिलाकर, 1.6 मिलियन से अधिक ट्रेडर्स प्रभावित हुए।
- अमेरिकी सरकारी शटडाउन का अतिरिक्त दबाव: अमेरिका में चल रहे 11वें दिन का सरकारी शटडाउन ने अनिश्चितता बढ़ा दी। इससे प्रो-क्रिप्टो विधेयकों में देरी हुई और फिएट मुद्राओं पर भरोसा कम हुआ, जो रिस्क एसेट्स जैसे क्रिप्टो पर दबाव डालता है।
यह दुर्घटना इतिहास की सबसे बड़ी लिक्विडेशंस में से एक है, जो 2022 के FTX कोलैप्स (1.6 अरब डॉलर) और 2021 के चाइना बैन (8.6 अरब डॉलर) से भी आगे निकल गई।
भारतीय बाजार पर सोमवार का संभावित असर: ऐतिहासिक डेटा के आधार पर
भारत में क्रिप्टो बाजार तेजी से बढ़ रहा है 2025 तक 9.7 अरब डॉलर का बाजार होने का अनुमान है, जिसमें 1.23 करोड़ यूजर्स शामिल हैं। लेकिन वैश्विक दुर्घटनाओं का असर यहां भी पड़ता है, खासकर 2020 के बाद जब क्रिप्टो और भारतीय स्टॉक मार्केट (निफ्टी 50) के बीच सहसंबंध बढ़ गया।
- ऐतिहासिक पैटर्न: 2022 की क्रिप्टो क्रैश में भारतीय एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग वॉल्यूम 90% गिर गया। इसी तरह, कोविड-19 ब्लैक थर्सडे (2020) और LUNA कोलैप्स (2022) में बिटकॉइन की गिरावट ने निफ्टी में 2-5% की डिप लाई। क्रिप्टो की उच्च वोलेटिलिटी (स्टॉक मार्केट से ज्यादा) स्पिलओवर इफेक्ट पैदा करती है, लेकिन कोई मजबूत सांख्यिकीय संबंध नहीं है।
- सोमवार की उम्मीदें: ट्रंप टैरिफ के कारण वैश्विक रिस्क अवर्सन बढ़ सकता है, जिससे भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों (जैसे WazirX, CoinDCX) पर 10-20% वॉल्यूम ड्रॉप हो सकता है। निफ्टी 50 में 1-3% की सुबह की गिरावट संभव है, अगर एशियाई बाजार (जैसे निक्केई, हांगसेंग) नकारात्मक रहें। हालांकि, अगर टैरिफ पर बातचीत शुरू होती है, तो रिकवरी जल्दी हो सकती है। लंबे समय में, यह फिएट पर अविश्वास बढ़ाकर स्टेबलकॉइन्स की मांग को बढ़ा सकता है।
निष्कर्ष: सबक और आगे की राह
यह क्रैश निवेशकों को याद दिलाता है कि लीवरेज्ड ट्रेडिंग में जोखिम कितना बड़ा होता है स्पॉट होल्डिंग ही सुरक्षित रास्ता है। भारतीय निवेशकों को सलाह है कि डाइवर्सिफिकेशन रखें और लंबी अवधि पर फोकस करें। अगर इतिहास दोहराता है, तो सोमवार का बाजार अस्थिर रहेगा, लेकिन क्रिप्टो की रिकवरी क्षमता हमेशा मजबूत रही है। क्या आप इस क्रैश से कैसे निपटेंगे? कमेंट्स में बताएं।
लेखक
डॉ इरशाद अहमद खान