<![CDATA[रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जून में 12 कंपनियों की टॉप डिफॉल्टर की लिस्ट में शामिल करने के बाद एक और लिस्ट को जारी किया है। इस लिस्ट में 40 कंपनियों को शामिल किया है, जिन पर बैंकों का बहुत सारा पैसा बकाया है और इसके चलते बैंक काफी हद तक डूब गए हैं। जिन प्रमुख कंपनियों को आरबीआई ने इस लिस्ट में शामिल किया है, उनमें विडियोकॉन से लेकर के जयप्रकाश एसोसिएट तक को शामिल किया गया है। विडियोकॉन की दो कंपनियां को इसमें शामिल किया गया हैं, जिनमें वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज और टेलिकॉम हैं। इसके अलावा रूचि सोया, शक्ति भोग, वीजा स्टील, नागार्जुन ऑयल रिफाइनरी, मॉनेट पॉवर, एस्सार प्रोजेक्ट, जय बालाजी इंडस्ट्रीज शामिल हैं। जेटली ने दिखाई सख्ती वित्तमंत्री का कहना था कि बड़े-बड़े बिल्डर अपना लोन लिया हुआ पैसा बैंकों को जमा करें, अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो सरकार उनकी कोई मदद नहीं करेगी। दिवालिया होने की सूरत में बैंकों को कर्ज लिया हुआ पैसा हर हाल में लौटाना होगा। RBI की मांग रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने सरकारी बैंकों को एनपीए की समस्या से निपटने में मदद के लिए उनके री-कैपिटलाइजेशन की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार समयबद्ध तरीके से इन बैंकों को पैसा दे ताकि ये इस समस्या से निकल से निकल सकें। पटेल ने कहा कि सरकारी बैंकों का एनपीए बढ़ कर बैंकिंग सिस्टम का 9.6 फीसदी हो गया है, जिसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। बैंकरों औैर उद्योगपतियों की बैठक में उर्जित पटेल ने कहा कि सकल एनपीए बैंकिंग सिस्टम के 9.6 फीसदी पर पहुंच गया है, जबकि स्ट्रेस्ड एसेट रेश्यो मार्च 2017 में 12 फीसदी पर पहुंच चुका है। यह बेहद चिंता का विषय है। पटेल जिस बैठक में यह चिंता जता रहे थे उसमें वित्त मंत्री अरुण जेटली भी मौजूद थे। पटेल ने स्वीकार किया बैंकों का बैलेंसशीट इतना मजबूत नहीं है कि वे कर्ज लेकर अपनी स्थिति संभाल सकें। जाहिर है जब बैंकों का कर्ज फंसता है तो उनकी वित्तीय स्थिति खराब हो जाती है। सरकारी बैंकों की इस वक्त जो स्थिति है, उसमें उन्हें री-कैपिटलाइजेशन से ही बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बैंकों के फंसे कर्ज का 86.5 फीसदी बड़े कर्जदारों के पास है। वहीं दूसरी तरफ वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि एनपीए प्रस्ताव को संकट में फंसी कंपनियों के कारोबार को खत्म करने के लिए नहीं बल्कि उन्हें बचाने के लिए है। उन्होंने कहा नाय दिवालिया कानून ने काफी हद तक डिफॉल्ट करने वाले देनदारों और लेनदारों के बीच रिश्ते बदल दिए हैं। इस प्रस्ताव का मकसद कंपनियों की परिसंपत्तियों का निपटारा करना नहीं बल्कि उसका कारोबार बचाना है। इससे मौजूदा प्रमोटर को नए पार्टनर या नए उद्यमियों के साथ या उनके बगैर भी यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनकी अहम परसंपत्तियां बरकरार रहें। जेटली सीआईआई की ओर से आयोजित इनसोल्वेंसी समिट में बोल रहे थे]]>