इंफोसिस के ₹18,000 करोड़ शेयर बायबैक से दूर रहेंगे प्रमोटर्स: नंदन नीलेकणि और सुधा मूर्ति सहित नाम शामिल, कंपनी में 13% हिस्सेदारी
कंपनी का सबसे बड़ा बायबैक, प्रमोटर्स ने 14-19 सितंबर को इनकार पत्र सौंपे; निवेशकों के लिए वैल्यू अनलॉकिंग का संकेत
भारतीय आईटी दिग्गज इंफोसिस के प्रमोटर्स ने कंपनी के सबसे बड़े शेयर बायबैक प्रोग्राम में हिस्सा न लेने का फैसला किया है। प्रमोटर ग्रुप, जिसमें नंदन एम. नीलेकणि, सुधा मूर्ति और अन्य को-फाउंडर्स शामिल हैं, ने ₹18,000 करोड़ के इस बायबैक से दूरी बनाने का ऐलान किया है। कंपनी ने बुधवार, 22 अक्टूबर 2025 को स्टॉक एक्सचेंजों को फाइलिंग में यह जानकारी दी। प्रमोटर्स के पास इंफोसिस की कुल इक्विटी कैपिटल का लगभग 13% हिस्सा है, लेकिन वे इस बायबैक में अपनी शेयर नहीं बेचेंगे। यह कदम कंपनी की कैपिटल एलोकेशन पॉलिसी के अनुरूप है, जिसमें फ्री कैश फ्लो का 85% शेयरधारकों को रिटर्न करने का लक्ष्य है।
बायबैक का विवरण: सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण कदम
इंफोसिस का यह पांचवां शेयर बायबैक है, जो 2017 से शुरू हुआ सिलसिला है। कंपनी के बोर्ड ने 11 सितंबर 2025 को इसकी मंजूरी दी थी, जिसमें ₹18,000 करोड़ की राशि से 10 करोड़ इक्विटी शेयर (फेस वैल्यू ₹5 प्रत्येक) ₹1,800 प्रति शेयर की दर से खरीदे जाएंगे। यह कुल पेड-अप कैपिटल का 2.41% हिस्सा है। पहले बायबैक में 2017 में ₹13,000 करोड़, 2019 में ₹8,260 करोड़, 2021 में ₹9,200 करोड़ और 2022 में ₹9,300 करोड़ का खर्च हुआ था।
प्रमोटर्स ने 14 से 19 सितंबर 2025 के बीच इनकार पत्र सौंपे हैं, जिससे बायबैक का पूरा लाभ अन्य शेयरधारकों को मिलेगा। कंपनी का कहना है कि यह कदम शेयरधारकों को वैल्यू रिटर्न करने और कैपिटल स्ट्रक्चर को मजबूत करने का प्रयास है। प्रमोटर्स की गैर-भागीदारी से बायबैक का असर कंपनी की होल्डिंग पर नहीं पड़ेगा, बल्कि यह लॉन्ग-टर्म विश्वास को दर्शाती है।
प्रमोटर्स की सूची: प्रमुख नाम और हिस्सेदारी
इंफोसिस के प्रमोटर्स में को-फाउंडर्स और उनके परिवार शामिल हैं। इनकी कुल हिस्सेदारी लगभग 13% है, जो कंपनी की स्थिरता का आधार है। प्रमुख नाम:
- नंदन एम. नीलेकणि: चेयरमैन और को-फाउंडर, व्यक्तिगत होल्डिंग 0.98%।
- सुधा मूर्ति: एन.आर. नारायण मूर्ति की पत्नी, प्रमुख प्रमोटर।
- अन्य: अक्षता मूर्ति (मूर्ति की बेटी), रोहन मूर्ति (मूर्ति का बेटा), रोहिणी नीलेकणि (नीलेकणि की पत्नी), निहार और जान्हवी नीलेकणि (नीलेकणि के बच्चे)। इसके अलावा, अन्य को-फाउंडर्स जैसे एस.डी. शिबूलाल और उनके परिवार भी शामिल हैं।
सुधा गोपालकृष्णन (कृष्ण गोपालकृष्णन की पत्नी) सबसे बड़ी प्रमोटर शेयरधारक हैं, जिनके पास 2.3% हिस्सा है। प्रमोटर्स की गैर-भागीदारी से यह संकेत मिलता है कि वे कंपनी के भविष्य में भरोसा रखते हैं और लंबी अवधि के लिए निवेश बनाए रखना चाहते हैं।
| प्रमुख प्रमोटर | होल्डिंग (%) | टिप्पणी |
|---|---|---|
| नंदन नीलेकणि | 0.98 | चेयरमैन, को-फाउंडर |
| सुधा गोपालकृष्णन | 2.3 | सबसे बड़ी प्रमोटर शेयरधारक |
| सुधा मूर्ति | – | मूर्ति परिवार का प्रतिनिधित्व |
| नारायण मूर्ति | 0.36 | को-फाउंडर |
आंकड़े: कंपनी फाइलिंग और रेगुलेटरी डेटा से।
बाजार पर प्रभाव: शेयरधारकों के लिए लाभ
प्रमोटर्स की गैर-भागीदारी से बायबैक का पूरा फायदा पब्लिक शेयरधारकों को मिलेगा, जो EPS बढ़ाने और शेयर मूल्य में सुधार लाएगा। इंफोसिस का शेयर मंगलवार को BSE पर ₹1,472 पर बंद हुआ, जो 0.72% ऊपर था। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम कंपनी की मजबूत कैश पोजिशन (Q2 में ₹7,364 करोड़ प्रॉफिट) को दर्शाता है। CEO सलिल पारेख ने कहा कि बायबैक AI और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन पर फोकस को मजबूत करेगा।
हालांकि, प्रमोटर्स की हिस्सेदारी स्थिर रखने से कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर सकारात्मक असर पड़ेगा। पिछले बायबैक में भी प्रमोटर्स ने हिस्सा नहीं लिया था, जो एक पैटर्न है।
निष्कर्ष
इंफोसिस के प्रमोटर्स का ₹18,000 करोड़ बायबैक से दूर रहना कंपनी के भविष्य में उनके विश्वास को मजबूत संकेत देता है। नंदन नीलेकणि और सुधा मूर्ति जैसे प्रमुख नामों की गैर-भागीदारी से अन्य निवेशकों को अधिक लाभ मिलेगा। यह कदम आईटी सेक्टर की स्थिरता और वैल्यू क्रिएशन को रेखांकित करता है। निवेशकों के लिए यह लॉन्ग-टर्म होल्डिंग का अच्छा मौका है, लेकिन बाजार की निगरानी जरूरी है।