HDFC बैंक की शुरुआत में पेड़ के नीचे ट्रेनिंग होती थी, कम्‍प्‍यूटर केबल कुतर देते थे चूहे

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एचडीएफसी बैंक वर्तमान समय में निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक है लेकिन इसकी शूरूआत ऐसी नहीं थी। शुरूआत में यह बैंक बहुत ही कम सुविधाओं के साथ प्रारंभ हुआ था। लेकिन इस बैंक को खड़ा करने में सबसे बड़ा योगदान आदित्य पुरी का है। आदित्य पुरी बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं। HDFC बैंक विधिवत शुरूआत आज से करीब 25 साल पहले अगस्त 1994 में की गई थीं।

आदित्य पुरी 26 अक्टूबर को बैंक से रिटायर होने वाले हैं। आदित्य पुरी के बाद HDFC बैंक की जिम्मेदारी किसे दी जाएगी, इसका संकेत स्‍वयं आदित्य पुरी ने दे दिया है। पुरी के अनुसार वर्चुअल एजीएम में उनहोंने शेयरधारकों से कहा था कि उनका उत्तराधिकारी 25 साल से उनके साथ काम कर रहा है।

18 जुलाई की HDFC बैंक की एजीएम हुई थी। जिसमें पुरी ने बैंक की स्थापना से जुड़ीं कई बातें बताई थी ।  उनका कहना था कि जब 25 साल पहले इस बैंक की स्थापना की गई थी तो उस वक्त हमारे कई साथी बच्चे थे। कई मिडिल क्लास थे, जो बाटा के जूते पहनते थे। कई साथी ऐसे थे जो विदेशी कंपनियों में अच्छे पदों पर काम कर रहे थे। लेकिन वह साथ आए । उन्होंने कहा कि सभी साथियों के मन में उस समय एक ही इच्छा थी कि एक हमारे देश में भी एक वर्ल्ड क्लास बैंक की  स्थापना हो। उसी बात को लेकर हम साथ चले। उनका कहना था कि , ‘मुझे अच्छी तरह याद है कि जब मैं सैंडोज हाउस में बैंक के लिए टीम बना रहा था कि तो लोगों को यही कहता था कि आओ और बेस्ट बैंक ऑफ द वर्ल्ड के साथ जुड़ जाओ और आज यह बात बिल्‍कुल सह है।

आदित्य पुरी का कहना था कि शुरुआती दिनों में हमारे सामने चुनौतियां काफी थीं। पैसे की कमी की वजह से हमने कमला मिल्स में जाकर अपना पहला ऑफिस खोला था। दिन में काम करके घर लौट जाते थे कि जब अगले दिन सुबह दफ्तर पहुंचते थे तो कंप्यूटर और मशीनें नहीं चलती थीं, क्योंकि चूहों ने केबल कुतर डाले थे। उन्‍होंने बताया कि शुरुआती दिनों में हमारी ट्रेनिंग पेड़ों के नीचे बैंठ का की जाती थी। लेकिन भगवान का धन्‍यवाद है कि हमने जो फैसला लिया, उसपर आगे बढ़ते रहे, और आज हम यहां तक पहुंच चुके हैं।

शेयरधारकों के प्रश्‍नों के उत्‍तर में पुरी का कहना था कि वे एक मजबूत प्रोसेस ड्रिवन वाले बैंक को छोड़कर जा रहे हैं। लेकिन आगे इस बैंक को संभालने वाला भी करीब 25 साल से बैंक से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस बैंक पर उनके जाने से कोई असर नहीं पड़ने वाला है।

उल्‍लेखनीय है कि आदित्य पुरी ने ही 90 के दशक में भारत में निजी क्षेत्र के एचडीएफसी बैंक की स्थापना की थी। इससे पहले वे मलेशिया से सिटीबैंक की बहुत बढ़िया नौकरी छोड़कर आए थे। करीब दो दशकों में पुरी ने बैंक को अपनी और अपनी टीम के बल पर काफी आगे बढ़ाया और इसे मुनाफे में रखते हुए सबसे कम एनपीए वाला बैंक बना दिया । इस समय एचडीएफसी बैंक के एमडी और सीईओ आदित्य पुरी भारत में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले बैंकर हैं। बीते वित्त वर्ष में आदित्य पुरी की सैलरी और अन्य लाभ 38 फीसदी बढ़कर 18.92 करोड़ रुपये पर पहुंच गए। इसके अलावा बैंक की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में आदित्य पुरी को शेयर ऑप्शंस का उपयोग करने पर 161.56 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिले थे। जिससे उनकी आय और अधिक हो गई है।  उल्‍लेखनी है कि एचडीएफसी बैंक देश के सबसे ऊभरते हुए बैंक में से एक है जिसमें चीन जैसे देश ने भी इन्‍वेस्‍टमेंट किया था।  इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि इस बैंक की ग्रोथ कि गति किस प्रकार की है।

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