एमपी में एमएसएमई को मिलेगी नई उड़ान: सीएम मोहन यादव ने ‘एमएसएमई निवेश प्रोत्साहन एवं संवर्धन 2025’ को दी मंजूरी!

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40% तक निवेश सहायता, प्रमाण पत्र पर 50 लाख की मदद और रोजगार सृजन के लिए प्रति कर्मचारी 5,000 रुपये: आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश की नई नीति से लाखों उद्यमियों को लाभ

भोपाल: मध्य प्रदेश को आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ‘एमएसएमई निवेश प्रोत्साहन एवं संवर्धन 2025’ नीति के क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है। यह नीति छोटे और मध्यम उद्यमों को निवेश के लिए 40 प्रतिशत तक की सहायता, प्रमाण पत्र प्राप्त करने पर 50 लाख रुपये की वित्तीय मदद और नवकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने जैसे प्रोत्साहनों से लैस है। 12 अक्टूबर 2025 को आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में सीएम ने इस नीति को हरी झंडी दिखाई, जिससे प्रदेश के लाखों एमएसएमई उद्यमियों में उत्साह की लहर दौड़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) 2025 से पहले औद्योगिक विकास को नई गति देगा।

नीति की घोषणा करते हुए डॉ. मोहन यादव ने कहा, “मध्य प्रदेश एमएसएमई क्षेत्र की रीढ़ है, जो न केवल रोजगार सृजन करता है बल्कि निर्यात और जीडीपी में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। इस नई नीति से हम छोटे कारोबारियों को मजबूत बनाकर आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करेंगे।” बैठक में एमएसएमई मंत्री चैतन्य कुमार काश्यप, उद्योग संघों के प्रतिनिधि और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। यह नीति ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले लाई गई है, जहां 60 देशों से निवेशकों को आमंत्रित किया गया है।

नीति के प्रमुख प्रावधान: छोटे उद्यमों के लिए बड़ा बूस्टर

‘एमएसएमई निवेश प्रोत्साहन एवं संवर्धन 2025’ नीति एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए डिजाइन की गई है, जिसमें निम्नलिखित मुख्य विशेषताएं शामिल हैं:

  • निवेश पर उच्च सब्सिडी: नए उद्योगों को निवेश पर 40 प्रतिशत तक की पूंजीगत सहायता प्रदान की जाएगी। अनुसूचित जाति-जनजाति और महिला उद्यमियों को यह 48 प्रतिशत तक बढ़ाई जाएगी। पिछड़े विकासखंडों में अनुदान को 1.3 गुना और मध्यम इकाइयों के लिए 1.5 गुना किया जाएगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग स्थापना को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • प्रमाण पत्र और निर्यात सहायता: जेड प्रमाणन या अन्य गुणवत्ता प्रमाण पत्र प्राप्त करने पर उद्यमियों को 50 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी। निर्यात संवर्धन के लिए ट्रांसपोर्ट अनुदान, इंडस्ट्रियल अवशिष्ट प्रबंधन और टेस्टिंग लैब स्थापना पर विशेष मदद उपलब्ध होगी।
  • रोजगार सृजन को बढ़ावा: 100 से अधिक रोजगार देने वाली मध्यम इकाइयों को डेढ़ गुना अनुदान मिलेगा। प्रति कर्मचारी 5,000 रुपये प्रतिमाह की सहायता 5 वर्षों तक दी जाएगी। कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए 13,000 रुपये प्रति व्यक्ति की मदद सुनिश्चित की गई है।
  • नवकरणीय ऊर्जा और स्टार्टअप फोकस: सोलर प्लांट और अन्य हरित ऊर्जा परियोजनाओं को प्रोत्साहन दिया जाएगा। स्टार्टअप्स और क्लस्टर विकास के लिए पारदर्शी ईको-सिस्टम तैयार किया जाएगा, जिसमें सब्सिडी को 700 करोड़ से बढ़ाकर 1,100 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

इस नीति का क्रियान्वयन एमएसएमई विभाग के माध्यम से होगा, जहां उद्यम पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन की सुविधा उपलब्ध होगी। पहले ही चरण में 10,000 से अधिक उद्यमियों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

अपेक्षित प्रभाव: रोजगार और आर्थिक उछाल

विशेषज्ञों के अनुसार, यह नीति अगले पांच वर्षों में 14,400 से अधिक रोजगार सृजित करेगी और 2,700 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करेगी। मध्य प्रदेश, जो पहले से ही सेमीकंडक्टर पॉलिसी-2025 के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स हब बनने की राह पर है, अब एमएसएमई के जरिए टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग और आईटी क्षेत्रों में वैश्विक निवेशकों को लुभाएगा। दुबई और स्पेन जैसी यात्राओं के दौरान सीएम द्वारा एमएसएमई को प्रमोट करने से अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ेगा।

उद्योग संगठनों ने नीति का स्वागत करते हुए कहा कि यह छोटे कारोबारियों के लिए ‘गेम चेंजर’ साबित होगी। एक उद्यमी ने बताया, “40% सब्सिडी से हमारा विस्तार आसान हो जाएगा, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।” हालांकि, क्रियान्वयन में पारदर्शिता और त्वरित मंजूरी सुनिश्चित करने की मांग भी उठी है।

मध्य प्रदेश सरकार का यह प्रयास न केवल राज्य की जीडीपी को मजबूत करेगा बल्कि ‘विकसित भारत@2047‘ के सपने को साकार करने में भी योगदान देगा। यदि आप एमएसएमई उद्यमी हैं, तो तुरंत विभाग की वेबसाइट पर पंजीकरण करवाएं और इन लाभों का फायदा उठाएं। क्या यह नीति आपके कारोबार को नई दिशा देगी? अपनी राय साझा करें!

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